उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में पिछले दस दिनों से फंसे 41 श्रमिकों की पहली तस्वीर जारी की गई है। सुरंग में फंसे श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा पहुंचने के बाद यह तस्वीर आई है। इसे रेस्क्यू टीम श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मान रहा है।
सिलक्यारा टनल के पास बाबा बौखनाग का मंदिर स्थापित किया गया। जहां वैज्ञानिक अपनी तकनीकी के सहारे मजदूरों को सुरक्षित टनल से निकालने के लिए देश-विदेश के टनल विशेषज्ञों की राय लेकर काम कर रहे हैं। वहीं आस्था के सहारे भी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कामना की जा रही है। इसी कारण से आस्था पर विश्वास करते हुए कल टनल के द्वार के किनारे मंदिर स्थापित किया गया।
सुरंग के काम में मिली दो सफलताओं को यहां के लोग बाबा बौखनाग का आशीर्वाद मान रहे हैं। सुरंग के अवरुद्ध हिस्से में 6 इंच व्यास की 57 मीटर लंबी पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बिछायी गयी और मजदूरों तक रात को ही खिचड़ी पहुंचायी गयी।
एनएचएआईडीसीएल के निदेशक अंशुमनीष खलखो,जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और टनल के भीतर संचालित रेस्क्यू अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने मीडिया को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेस्क्यू की इस पहली कामयाबी के बाद श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने के प्रयास तेजी से संचालित किए जाएंगे।
सुरंग में फंसे श्रमिकों के जीवन की रक्षा के लिए अबतक 4 इंच की पाइपलाइन ही लाइफलाइन बनी हुई थी। अब सेकेंड्री लाइफ लाइन के तौर पर छह इंच व्यास की पाइप लाइन मलवे के आरपार बिछा दिए जाने के बाद श्रमिकों तक बड़े आकार की सामग्री व खाद्य पदार्थ तथा दवाएं और अन्य जरूरी साजो सामान के साथ ही संचार के उपकरण भेजने में सहूलियत हो गई है। जिससे अंदर फंसे श्रमिकों के जीवन को सुरक्षित बनाये रखने का भरोसा कई गुना बढ़ा है। इस अच्छी खबर के बाद श्रमिकों और उनके परिजनों साथ ही रेस्क्यू के मोर्चों पर खुशी और उत्साह है। रेस्क्यू के अन्य विकल्पों को लेकर अब उम्मीदें उफान पर हैं।
वहीं बाद में सुरंग में फंसे श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा पहुंचाया गया। इस कैमरे से टनल में फंसे श्रमिकों की पहली तस्वीर सामने आई है।