देहरादून। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति के साथ साथ कला के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु वैश्विक स्तर पर उसे पहचान दिलाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। यह बात मंगलवार को कला एवं संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में हाऊस अॉफ आर्कियोलाजिकल एण्ड आरर्काइवल मैटैरियल कलेक्शन ट्रस्ट एवं पुराना दरबार टिहरी द्वारा विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर आयोजित उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण कार्यशाला एवं प्रदर्शनी के आयोजन के अवसर चित्रकला से जुड़े कलाकारों को संबोधित करते हुए कही।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और चित्रकला के संरक्षण के संकल्प को पूरा करने में दिन रात लगे कलाकारों को सम्मानित करते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि हम जो भी कार्य करें उसका एक संकल्प होना चाहिए तभी हमें सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां बहुत सी प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यतायें जिन्हें निकालने की आवश्यकता है। उत्तराखंड की चित्रकला का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए तभी हम उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने में कामयाब होंगे। यहां की चित्रकला मोलाराम की कविताओं ने भी स्पष्ट झलकती है। उत्तराखंड की चित्रकला अन्य किसी भी जगह से कम नहीं है।
महाराज इस दौरान प्रेक्षा ग्रह परिसर में आरर्काइवल मैटैरियल कलेक्शन प्रदर्शनी का अवलोकन करने के साथ-साथ चित्रकला और इससे जुड़े कलाकारों को भी सम्मानित किया। उन्होंने धातु, पत्थर, काष्ट, मेटल और कास्टिंग पर आधारित वस्तुओं को बनाने वाले कलाकारों, अंशु मोहन, पुरातात्विक वस्तुओं पर काम करने वाले राममोहन कंडवाल, मोहरा और पुराने सिक्कों की भांति आकृतियां उकेरने वाले जसवीर, रामायण और पांडव नृत्य के रचयिता आचार्य कृष्णानंद नौटियाल, के.एस. रावत, कार्यशाला की प्रशिक्षक तनुश्री मिश्रा, डॉ हरिओम शंकर, रविंद्र बडियाल, डॉक्टर मेहरबान सिंह गुसाईं, ठाकुर भवानी, रेनू शुक्ला, देवेंद्र सिंह के साथ-साथ संस्कार भारती के प्रांत कोषाध्यक्ष बलदेव प्रसाद को भी आयोजन में सहयोग के लिए अलंकरण से सम्मानित किया। अलंकरण एवं सम्मान समारोह में कैंट विधायक श्रीमती सविता कपूर सहित संस्कृति विभाग के अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा चित्रकला से जुड़ी कन्या गुरुकुल के छात्र एवं छात्राएं उपस्थित भी उपस्थित थी।