चुनावी बांड योजना को लेकर केंद्र सरकार पर बरसे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने चुनावी बांड योजना को भाजपा सरकार के महा भ्रष्टाचार का नमूना मात्र बताते हुए कहा कि भाजपा की तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2017 में जब चुनावी बांड योजना को वित्त विधेयक के रूप में पेश किया गया था, तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसकी अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और हानिकारक प्रकृति की स्पष्ट रूप से निंदा करने वाली पहली पार्टी थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भाजपा की इस कुटिल चाल के खिलाफ संसद के भीतर और बाहर लगातार अपनी लड़ाई लडती रही है।
माहरा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी योजना में पारदर्शिता के बिना स्वस्थ एवं स्वतंत्र लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की इस महाभ्रष्टाचार एवं “काला धन रूपांतरण“ योजना को “असंवैधानिक“ मानते हुए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चुनावी बांड योजना कुछ और नहीं बल्कि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा अपनी पार्टी का खजाना भरने के लिए बनाई गई एक काला धन को सफेद करो योजना थी। भाजपा सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बांड योजना सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाईन की गई थी जिसके माध्यम से भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक दान का 95 प्रतिशत हांसिल किया।
कहा कि यह असंवैधानिक योजना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का स्पष्ट उलंघन है तथा इस प्रकार की असंवैधानिक योजना को लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलिरेंस का राग अलापते हुए बार-बार दावा किया जा रहा है कि काले धन पर अंकुश लगाया जा रहा है जो कि बिल्कुल निराधार है जिसकी पोल मा0 सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने खोल दी है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड योजना को आर.टी.आई. के प्रावधानों के दायरे से बाहर रख कर काले धन को सफेद करने को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी चेनावी दी गई थी कि चुनावी बांड योजना काले धन को राजनीति में लाने का माध्यम है परन्तु तत्कालीन वित्तमंत्री द्वारा रिजर्व बैंक की आशंका को खारिज कर दिया गया था।
कहा कि यही नहीं मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड योजना के विरोध को कम करने के प्रयास में जानबूझ कर चुनाव आयोग को भी गुमराह किया गया। चुनावी बांड योजना के तहत वर्ष 2018 में जो 222 करोड़ रूपये के बांड खरीदे गये जिनमें 95 प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी के पास गये। यही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा एसबीआई को अवैध विंडो में बेचे गये समाप्त हो चुके चुनावी बांड स्वीकार करने का भी दबाव डाला गया।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार द्वारा भ्रष्टाचार की नीयत से संविधान में जीवन का अधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए चुनावी बांड में सूचना का अधिकार अधिनियम को भी समाप्त कर दिया गया। कानून मंत्रालय द्वारा भी चुनावी बांड पारित करने के मोदी सरकार के फैसले को अवैध करार दिया गया था परन्तु इसके बावजूद भी भ्रष्टाचार की नीयत से इसे लागू किया गया।
माहरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की इस “काला धन रूपांतरण“ योजना को “असंवैधानिक“ मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है तथा मांग करती है कि मोदी सरकार के चुनावी बांड महा घोटाले की जांच ईडी एवं सीबीआई से कराई जाय।