उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों का कुमाऊ मंडल का एक सम्मेलन कल हल्द्वानी के नंदा वेडिंग पॉइंट में होगा। जिसमें राज्य भर से 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों के आने के आसार हैं ।
यह जानकारी देते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी सयुंक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और इस सम्मेलन की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि 10 फीसदी आरक्षण, तमाम वंचित आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण ,गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने, भू कानून में बदलाव और मूल निवास जैसे सवालों को लेकर आयोजित इस सम्मेलन में हुमायूं के तमाम दिग्गज राज्य निर्माण आंदोलनकारी भागले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में 10 फीसदी आरक्षण को पास कराए जाने के बाद भी गवर्नर द्वारा उसे पर हस्ताक्षर न किए जाने को लेकर राज्य आंदोलनकारियों में भारी आक्रोश है। यही नहीं आंदोलनकारियों को वर्तमान महंगाई के दौर में मात्र 4000 पेंशन दिए जाने को भी आंदोलनकारी ऊंट के मुंह में जरा बता रहे हैं। सरकार ने आपातकालीन स्थिति के जेल जाने वालों को तो 20000 रुपये पेंशन दे दी लेकिन जिन लोगों की वजह से राज्य बना है और सरकार बनी है उन लोगों को मात्र 4000 रुपये की पेंशन देकर बहकाया जा रहा है ।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि इसके अलावा दिल्ली उत्तराखंड और देश के कई अन्य भागों में उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए लोगों ने कुर्बानियां दी लेकिन इस सरकार ने उन आंदोलनकारियों को चिन्हित आंदोलनकारी की सूची में आज तक नहीं लिया है । हजारों लोगों की एप्लीकेशन सचिवालय में पड़ी है और कई जगह जिलों के कार्यालय में यह धूल खा रही हैं । परंतु वहां पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही। गैरसैंण राजधानी को तो भुला ही दिया गया है और राज्य के लोगों की जो मूलभूत समस्याएं हैं । जल जंगल जमीन के सवालों पर भी सरकार कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है । चार धाम यात्रा के लिए जो सड़के बनाई गई हैं थोड़ी ज्यादा बरसात आने से उनकी पूरी पोल खुल गई है। राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है और सरकार नौजवानों के लिए कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा इन्हीं सब सवालों को लेकर राज्य आंदोलनकारी कल 17 अगस्त को हल्द्वानी में इकट्ठा हो रहे हैं जहां इन सब परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए राज्य आंदोलनकारी ,नई रणनीति बनाएंगे। उन्होंने कहा सम्मेलन में सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है क्योंकि आंदोलनकारी किसी दल विशेष से बंधे हुए नहीं है।
धीरेंद्र प्रताप नगर इस सम्मेलन में 1978 में गिरफ्तार हुए उत्तराखंड आंदोलनकारी के पहले दस्ते को भी चिन्हित आंदोलनकारी के रास्ते में शामिल किए जाने की मांग उठाई जाएगी क्योंकि उन लोगों को इतिहास में पहले सत्याग्रह के रूप में उत्तराखंड की आवाज उठाने का श्रेय हासिल है परंतु कई बार मांग उठने के बाद भी सरकार ने उनकी तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया है।