उत्तराखण्ड

बिरही गांव के ग्रामीण स्वयं के संसाधनों से कर रहे पानी की आपूर्ति

चमोली : जिले में वीरगंगा नदी के तट पर बसे बिरही गांव के 150 ग्रामीण और बदरीनाथ हाईवे पर होटलों का संचालन कर रहे व्यवसायिक स्वयं के संसाधन से ढोकर पेयजल आपूर्ति कर रहे हैं।
बिरही गांव में जहां 150 परिवार निवास करते हैं। वहीं यहां स्वरोजगार के लिये स्थानीय युवाओं की ओर से होटलों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन नदियों के संगम तट पर बसे होने के बाद भी गांव के ग्रामीण पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासी मंजू देवी, माहेश्वरी देवी और तारादत्त का कहना है कि पेयजल निगम और जल संस्थान की ओर से गांव की सीमा के स्रोतों से मायापुर और कौडियां गांवों में पानी की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन बिरही गांव को वर्तमान तक जल जीवन मिशन योजना से नहीं जोड़ा गया है। वहीं गांव में वर्षों पूर्व बनी पेयजल योजना ग्राम समिति की देखरेख में होने के चलते बजट के अभाव में खस्ताहाल पड़ी हुई है। जिससे जहाँ स्थानीय ग्रामीणों को रोजमर्रा के कामों के साथ ही मवेशियों की पेयजल आपूर्ति के लिये प्राकृतिक स्रोतों से पानी ढोना पड़ रहा है। वहीं होटल संचालकों को तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिये दो हजार रुपये प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदना पड़ रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन से मामले का संज्ञान लेते हुए ग्रामीणों की समस्या का निस्तारण करने की मांग उठाई है।

बिरही गांव में पेयजल की सुचारु आपूर्ति के लिये शीघ्र जल जीवन मिशन में प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। योजना के निर्माण से गांव में पेयजल सुचारु होने से ग्रामीणों की समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा।

वीके जैन,  अधिशासी अभियंता, उत्तराखंड पेयजल निगम, चमोली-गोपेश्वर।

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