उत्तराखण्ड

4 परियोजनाओं से गंगा तटों जन सुविधा होंगी विकसित

देहरादून : राज्य को नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी जल प्रदूषण नियंत्रण व गंगा तटों पर जनसुविधा विकसित करने के लिये करीब 43 करोड की लागत की 4 परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की 42वीं कार्यकारी समिति की बैठक में सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गयी है। जिसके लिए माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत स्वीकृत परियोजनाएं उत्तराखण्ड में गंगा एवं इसकी सहायक नदियों की स्वच्छता एवं निर्मलता हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण परियोजनाएं है, जिसमें 32.10 करोड की लागत से चमोली में बद्रीनाथ धाम में स्वीकृत रीवर फ्रन्ट डेवलेपमेन्ट के कार्य की परियोजना गंगा नदी स्वच्छता एवं निर्मलता के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण परियोजना है। जिसके तहत् श्रद्धालुओं की सुविधाओं हेतु बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के अनुसार 227 मी. व 232 मी. के 2 ट्रैक, रेन सैल्टर, 4 पवेलियन, 2 टॉयलेट ब्लाक आदि विकसित किये जायेंगे।
जी अशोक कुमार, महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में उत्तराखण्ड राज्य के उदय राज सिंह जी, अपर सचिव, पेयजल (नमामि गंगे) ने वर्चुवली प्रतिभाग किया।  बद्रीनाथ धाम परियोजना के अतिरिक्त 1.82 करोड की लागत से जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लाक के भोगपुर तल्ला में मोक्षघाट का निर्माण तथा 8.60 करोड की लागत से जनपद हरिद्वार में जगजीतपुर व सराय, ऋषिकेश, श्रीनगर एवं देवप्रयाग में निर्मित सीवेज शोधन संयत्रों में जाने वाले सैप्टेज के को-ट्रीटमेन्ट (उपचार) की परियोजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की गयी। सभी परियोजनाओं पर शीघ्र ही कार्य आरम्भ किये जायेंगे।

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