भारी बर्फबारी के बीच मंदिर के शीर्ष पर विधिविधान के साथ किया गया कलश स्थापित
रूद्रप्रयाग। विश्व के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित पंच केदारों में से एक तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की छतरी का जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद बर्फवारी के बीच विधि विधान के साथ कलश स्थापना किया गया। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय के प्रयासों के चलते जीर्ण-शीर्ण हो चुकी तुंगनाथ मंदिर की छतरी की मरम्मत का कार्य दानीदाता के सहयोग से संपन्न हो गया है।
उल्लेखनीय है कि तुंगनाथ मंदिर की नयी छतरी का निर्माण पहले की तरह ही देवदार की लकड़ी पर नक्काशी कर किया गया है। विगत 4 सितंबर को पुरानी जीर्ण छतरी को उतारा गया था। जिसके बाद कलश को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया था।
पांच सप्ताह बाद नवरात्र के अवसर पर छतरी बनकर तैयार हुई तथा मंदिर के शीर्ष पर स्थापित की गयी। उसके बाद आज तुंगनाथ में बारिश के बाद बर्फवारी शुरू हो गयी थी। आज बर्फबारी के दौरान इसी दौरान गर्भगृह से कलश का निकाल कर पूजा की गयी। हक हकूकधारियों तथा पश्वाओं की उपस्थिति में पूजा-अर्चना संकल्प के साथ मंदिर के शीर्ष में छतरी एवं कलश को विराजमान कर दिया गया।
छतरी का जीर्णोद्धार करने वाले दिल्ली के दानीदाता संजीव सिंघल के सहयोग से 13 लाख 65 हजार की लागत से नयी छतरी का निर्माण किया गया। कलश तथा छतरी स्थापना के दौरान भगवान महादेव, भैरवनाथ जी, भूतनाथ जी मां भगवती कालिंका अवतरित हुई तथा छतरी तथा कलश को स्थापित करने की अनुमति दी।
इस अवसर पर मंदिर सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल,मठापति रामप्रसाद मैठाणी, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, प्रबंधक बलबीर नेगी, भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, मंगोली गांव के धर्म्वाण बंधु, मंदिर के पुजारी गीता राम मैठाणी, प्रकाश मैठाणी आदि मौजूद रहे।
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए लगातार कार्य चल रहा है। वर्तमान में श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में कोठा भवन का जीर्णोद्धार का कार्य गतिमान है। श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी मंदिर की छतरी का भी जीर्णोद्धार कार्य भी प्रस्तावित है जबकि श्री त्रिजुगीनारायण मंदिर के प्रचार प्रसार के लिए भी कार्य हो रहा है।