उत्तराखण्ड

सुभारती विश्वविद्यालय में शहीद चंद्रशेखर आजाद एवं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर दी गई श्रद्धांजली

  • महान क्रन्तिकारी जतीन्द्र मोहन सेन गुप्ता एंव कर्नल डॉक्टर लक्ष्मी सहगल उनकी पुण्यतिथि पर दी गई विनम्र श्रद्धांजली

देहरादून: रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय देहरादून के नर्सिंग संकाय द्वारा शनिवार को शहीद चंद्रशेखर आजाद के जन्म दिवस की पूर्व संध्या को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा० राजेश मिश्रा एवं नर्सिग संकाय की प्राचार्या गुरप्रीत कौर के कर कमलों द्वारा शहीद चंद्रशेखर आजाद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी एवं उनके बलिदानों को याद करने के लिये भावपूर्ण देशप्रेम से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा० राजेश मिश्रा ने अपने सम्बोधन में व्यक्त किया कि भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को उनकी गुलामी से आजाद कराया। भारतवासी उनके इस बलिदान को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। उन्ही के कारण आज हम अपने देश में आजादी से सांस ले रहे हैं। आजादी के इतने वर्षों के बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमें दोबारा एक साथ मिलकर अपने देश से इन बुराइयों को बाहर निकाल फेंकना है जैसे कि स्वतंत्रता सेनानी नेताओं ने अंग्रेजों को हमारे देश से निकाल दिया था। हमें अपने भारत देश को एक सफल, विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा। हमें अपने भारत देश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, आदि जैसे चीजों को अच्छी तरह समझना होगा और इनका हल निकालना होगा। हम सभी को देश के लिए शहीद वीर स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस प्रकार से उन्होंने देष की स्वतंत्रता के लिए स्वंय को देष के लिए समर्पित कर दिया। उन्होनें यह भी बताया कि अगर प्रत्येक भारतीय अपने कार्य अनुशासन एवं जिम्मेदारी से करें भारत जल्द ही विकसित देश होगा।

विश्वविद्यालय के छात्र साहिल ने शहीद चन्द्रशेखर आजाद के बारे में बताते हुए कहा कि मात्र 14 वर्ष की आयु में ‘असहयोग आंदोलन में भाग लेने पर 14 बेंतों की सजा पाने वाले, काकोरी कांड में भाग लेने वाले, ‘हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना के संस्थापक एवं ‘कमांडर इन चीफ, साथिओं के साथ मिलकर लाहौर पुलिस अधीक्षक सांडर्स व उनके अंगरक्षक की हत्या करने वाले, भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर दिल्ली के केंद्रीय असेंबली में बेम विस्फोट करने वाले, अंतिम गोली रहने तक अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने एवं अंतिम गोली अपनी कनपटी पर दाग कर अपना प्राणअंत करने वाले, ‘हम आजाद हैं, हम आजाद रहेंगे’ अपने कहे को अंत समय तक निभाने वाले चंद्रशेखर आजाद को उनकी जयंती पर बारंबार नमन। जनपद बुलंदशहर, ग्राम कैलावन में सुभारती संस्था द्वारा संचालित अस्पताल का नाम चंद्रशेखर आजाद की पावन स्मृति को समर्पित है।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बारे मे बताते हुए विश्वविद्यालय की छात्रा कुमारी आशा ने कहा कि राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील एवं स्वतन्त्रता सेनानी, जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक काल में स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु नये विचार दिए एवं प्रयत्नशील रहे। स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी, जिन्होंने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं उसे लेकर ही रहूँगा” प्रसिद्ध नारा दिया। अंग्रेज उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। “आधुनिक भारत के निर्माता”, “भरतीय क्रांति के जनक”, “लोकमान्य” (“लोगों द्वारा स्वीकृत” – नायक के रूप में) की आदरणीय पदवी प्राप्त, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को उनकी जयंती पर बारंबार नमन। सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ में प्वाइंट 39 के तिराहे का नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पावन स्मृति को समर्पित है।

विश्वविद्यालय की छात्रा कु० रीतु ने बताया कि कर्नल डॉक्टर लक्ष्मी सहगल उच्च कोटि की वक्ता, कुशल राजनीतिज्ञ एवं महान समाज सेविका अस्थायी आजाद हिंद सरकार की कैबिनेट में पहली महिला सदस्य, आजाद हिन्द फौज की रानी झाँसी रेजिमेंट में सक्रिय भूमिका रखने वाली विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन में सक्रिय भूमिका, मद्रास मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा प्राप्त, 98 वर्ष की उम्र तक कानपुर के अपने घर में बीमारों का इलाज करने वाली, देशभक्त कर्नल डॉक्टर लक्ष्मी सहगल को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजली । सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ में एक बालिका छात्रावास का नाम कर्नल लक्ष्मी सहगल की पावन स्मृति को समर्पित है।

महान क्रन्तिकारी जतीन्द्र मोहन सेन गुप्ता के बारे बताते हुए छात्रा कु० गुंजन ने कहा देश की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने वाले प्रथम क्रन्तिकारी, जिन्होंने अंग्रेज शासन के विरुद्ध जन मानस को जागरूक किया। अपनी कानूनी शिक्षा ज्ञान से कई स्वतंत्रता आंदोलन क्तान्तिकारियों को अंग्रेजों के अत्याचारों से बचाया। जिन्होंने असहयोग आंदोलन में भी योगदान दिया एवं भारत वर्मा बंटवारे का विरोध किया। महान क्रन्तिकारी जतीन्द्र मोहन सेन गुप्ता को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजली। सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ परिसर में एक पार्किंग स्थल का नाम महान क्रन्तिकारी जतीन्द्र मोहन सेन गुप्ता की पावन स्मृति को समर्पित है।

रासबिहारी बोस सुभारती विष्वविद्यालय के माननीय कुलपति ने अपने संदेष में कहा कि भारतवर्ष को अंगेजो की गुलामी से आजादी दिलाने में बहुत सारे स्वतन्त्रता सेनानियों का योगदान रहा है। इनमें से बहुत से महान क्रान्तिकारियों के नाम एवं योगदान इतिहास में दर्ज है परन्तु ऐसे भी बहुत से देषप्रेमी थे जिनका नाम इतिहास के पन्नों में नहीं लिखा जा सका। आज के दिन हम उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धाजलि अर्पित करते है। उन्होने यह भी कहा कि विद्यार्थी ही किसी भी देष का भविष्य तय करते है। उन्होनें व्यवसायिक षिक्षा के साथ-साथ नैतिक षिक्षा की जरूरत पर भी प्रकाष डाला ।

कार्यक्रम का मंच संचालन नर्सिग संकाय की छात्रा वंशिका द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत नर्सिग संकाय की छात्रा सेजल एंव अन्य विद्यार्थियों द्वारा भावपूर्ण प्रस्तुति दी गयी।

इस अवसर पर रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य, शैक्षिक, गैर शैक्षिक कर्मचारी एवं छात्र / छात्राएं उपस्थित रहे।

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