उत्तराखण्ड

ग्रामीण दो किमी की दूरी से पानी ढोकर रहे रोजमर्रा के काम

गोपेश्वर: राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण मेें सुविधाओं को जुटाने के सरकारी दावों को भलसौं गांव मुंह चिढा रहा है. यहां राजधानी परिक्षेत्र में स्थित भलसौं गांव एक दशक से पेयजल की समस्या से जूझ रहा है।. ग्रामीण आज भी यंहा 2 किमी की दूरी से पेयजल ढोकर ला रहे हैं। ऐसे में भलसौं के ग्रामीणों के लिये जल जीवन मिशन और गैरसैंण राजधानी अवस्थापना विकास जैसी योजनाएं हवा हवाई साबित हो रही हैं.
ग्राम प्रधान नवीन खंडूरी, आंनद सिंह व त्रिलोक सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव में पेयजल सप्लाई लाइन का भले ही निर्माण कर दिया गया है। लेकिन वर्तमान तक नलों से पेयजल की आपूर्ति नहीं हो सकी है। जिससे गांव के 120 परिवारों के ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की आवश्यकता के पानी की पूर्ति के लिये दो किमी की दौड़ लगा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव से आटागाड़ नदी की दूरी 4 किमी है। ऐेसें में गांव में पेयजल की आपूर्ति के लिये प्रशासन व शासन से पंपिंग योजना निर्माण की मांग की जा रही है। लेकिन वर्तमान तक मांग केा लेकर कोई जमीनी कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है।

इधर, पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता कैलाश नौटियाल का कहना है कि भलसौं और सुनड़ के लिये आटागाड़ व सुंगड़ प्राकृतिक स्रोत से पेयजल योजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसके लिये सर्वे कार्य गतिमान है।

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